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अदभुत ज्ञान लहसुन के बारे में

नवीन कुमार झा
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Amazing knowledge about garlic लहसुन के गुण और दोष

लहसुन अमृत

लहसुन का जन्म अमृत से हुआ है इसलिए लहसुन स्वयं अमृत है या अमृत रसायन है, इसलिए आयुर्वेद में कहा गया है कि संसार में शायद ही कोई एसा रोग हो जो लहसुन के प्रयोग से न अच्छा किया जा सके

अमृतोद्भूतममृतं लहसुनानं रसायनं !!
दन्तमांसनखश्मश्रुकेश्वर्णयो बलम् !!!
न जातु भ्रश्यते जातं नृणां लासुनखादिनाम् !!!
पतन्ति स्तनाः स्त्रीणं नृणां लशुनसेवनात् !!!
न रूपं भ्रश्यते चासां न प्रजा न बलायुषी !!!
सौभाग्यं वर्धते चासं दृढं भवति यौवनं"!!!

अर्थातः--अमृत से उत्तपन्न यह अमृत रूप लहसुन अमृत रसायन है ! लहसुन का सेवन करने वाले व्यक्ति के दाँत माँस,नख, दाढ़ी-मूँछ, केश, वर्ण, अवस्था एवं बल कभी क्षीण नहीं होते। लहसुन के सेवन करने वाले स्त्रियों के स्तन कभी क्षीण नहीं होते है। स्त्रियों के रूप,सन्तान,बल एवं आयु क्षीण नहीं होते ! उनके सौभाग्य की दिनोँदिन वृद्धि होती रहती है, तथा जीवन सुखमय और दृढ़ होता है !

प्रमदा$तिविधयापी लशुनैः प्राप्नुते मृजाम !!!
चैनां संप्रबाधान्ते ग्राम्यधर्मोद्भावा यदाः !!!

स्त्रिया लहसुन का अधिक सेवन करके भी शुद्धः रहती है तथा उसे संभोग से उत्पन्न होने वाले रोग नही होते है।

कटिश्रोण्यगंमुलानांन जातु वशगा भवेत् !!!
न जातु बन्ध्या भवति न जत्वाप्रियदर्शना !!!

लहसुन के सेवन करने से स्त्रिया की कटि, श्रोनि तथा अन्य अङ्गो के रोगो के वशवर्ती नही होती है, अर्थात उन्हें कटि, श्रोनी एवं अन्य अङ्गो के रोग नही होती हैं। येेसी स्त्री कभी बाँझ नही होती है और बदसूरत भी नही होती है।

"दृढ़मेघाविदीर्घायुर्दर्शनिय प्रजा अश्रान्तो ग्राम्यधर्मेषु शक्रधाश्च भवेन्नरः" !!!

अर्थातः--

लहसुन के सेवन से पुरुष भी दृढ़, मेधावी, दीर्घायु, सुन्दर तथा संतानयुक्त होता है ! रति-क्रिया मज़बुत   होती है और शुक्र धारण करने वाला होता है ,अर्थात लहसुन का सेवन करने से पुरुष के शरीर में वीर्य की वृद्धि होती हैं

"यावतीभिश्च समियात्तावत्यो गर्भमाप्नुयुः !!!
नीलोत्पलसुगंधिश्च पद्मवर्णश्च जयेतें !!!

अर्थातः--जितने भी स्त्रियों से लहसुन का सेवन करने वाला पुरुष सम्भोग करता है उन सबको गर्भ स्थित हो जाता है,तथा वह गर्भ नीलकमल की सुगंध वाला तथा पद्म- के-वर्ण का होता है ! इस तरह आयुर्वेद में लहसुन के अनेक अलौकिक गुण भरे परे है !

चरक सूत्र- अध्याय (27) लहसुन का गुण इस तरह वर्णित है

कृमिकुष्टकिलासघ्नो वातघ्नों गुल्मनाशनः !!!
स्निग्धश्चोष्णश्च वृष्यश्च लसुनः कटुको गुरुः !!!

अर्थातः-- लहसुन कृमि,कुष्ट,किलास (श्वित्र )को नष्ट करने वाला,वातहर, गुल्म नाशक, स्निग्ध,गरम, वृष्य रस में कटु होता है !!!सुश्रुत में लहसुन के सम्बन्ध में कहा गया है

स्निग्धोष्णः कटुपिच्छिलश्च गुरुः सरः स्वादुरसश्च बल्यः !!
वृष्यच मेधास्वरवर्णचक्षुर्भग्नास्थिसन्धानकरो रसोंनः
हृद्रोगजीर्णज्वरकुक्षिशुलविबन्धगुल्मारुचिकासशोफान्
दुर्नामकुष्ठानलसादजन्तुसमिरणश्वासकाफांश्च हन्ति

"लहसून, स्निघ्न, उष्ण, तीक्ष्ण, कटुरस, पिच्छिल, गुरु, विरेचक, मधुर रस वाला,बलकारक, शुक्रवर्धक, मेधा, स्वर, वर्ण, आँख के लिए हितकर और भाग्नास्थि को जोरने वाला हैं ! हृदय रोग, जीर्णज्वर, कुक्षिशूल, विबन्ध,अरुचि, कास, शोफ , अर्क, कुष्ट, अग्निमान्द्धय, कृमि, वायु, श्वास और कफ को नष्ट करता है!

रसे पाके च कटुकस्तीक्ष्णो मधुरको मत: |
भाग्नसंधान्कृत् कंठयो गुरु: पित्तास्रवृद्धिद: |
बलवर्णकरो मेधाहितो नेत्र्यो रसायन: |
दुर्नामकुष्टानलसादजन्तुसमीरणश्वासकफांश्च हन्ति |”

भावप्रकाश में लहसुन के सम्बन्ध कहा गया है कि---

“लहसुन वीर्यवर्धक, धातुवर्धक

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