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नलग्रीवं पञ्चवक्त्रम् त्र्यम्बक चन्द्रशेखरम्

नवीन कुमार झा
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नलग्रीवं पञ्चवक्त्रम् त्र्यम्बक चन्द्रशेखरम् ।
वामाङ्गे बिभ्रतं गौरीं विद्युत्पौञ्जसमप्रभाव् ।।
कर्पूरगौरं गौरीशं सर्वालङ्कारधारिणम् ।
सितभस्मलस देहं सितवस्त्र महोज्ज्वलम् ।।

अर्थात

शिव जी के गले मे है, पाँच मुख है, तीन आँखे है, सिर पर अर्धचन्द्रमा विराजमान है, और वामभाग मे बिजली के समूह के समान कान्तिवाली गौरी विराजमान है । शिव जी सभी प्रकार के अलंकार को धारण किये हुये सफेद भस्म से शोभित शरीर वाले तथा सफेद वस्त्रो को धारण करने से उज्ज्वल कर्पूर के सदृश गौर वर्ण है ।

आद्यन्तमङ्गलमजातसमानभावमार्यं ।
तमीशम जरामरमात्म देवम् ।।
पञ्चाननं प्रबल पञ्च विनोद शीलं ।
सम्भावये शङ्कर मम्बिकेशम् ।

अर्थात

जो सृष्टि के आदि तथा अन्त मे मंगलस्वरूप है,जिनके हृदय मे प्राणिमात्र के लिए अपूर्व समान भाव स्थित है,अर्थात् ऐसा समान भाव अन्यत्र देखा नही जाता,अतएव वे अपने सभी प्रकार के भक्तों का सदैव कल्याण करने मे तत्पर रहते है,जो आर्य  (सर्वश्रेष्ठ) है, जो शिव जरा  ( बुढ़ापा ) तथा मरण के बंधन से मुक्त है, जो आत्माराम है, अर्थात् जो स्वयं प्रकाशमान है, जो पाँच मुखों वाले है, जो पाँच प्रकार के महापातकों को अथवा शब्द आदि पाँच इन्द्रियों के विषयों को जो मुक्ति प्राप्ति के मार्ग में बाधक है, उन्हे हटाने मे समर्थ है, ऐसे पार्वतीपति श्रीशंकर का मै ध्यान करता हू ।।।।

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